सुन्दर त्वचा , चमक्दारर त्वचा , चेहरे पे चमक , जिसको योग की भाषा में ओज कहते है। ओज की आवशयकता सबको होती है। आज सब कोई अपने व्यक्तितत्व को लेकर सब कोई परेशां रहता है। योग एक ऐसा साइंस है जिसके माध्यम से देखा गया की जो योग का अभ्यास करते है उनके चेहरे पे एक काँटी होती है। तो योग का अभ्यास करने वाले है तो उनके चेहरे पे एक विशेष चमक आ जाती है जिसको योगियों का प्राण बोलते है। अगर आप योग का किसी तरह का अभ्यास करे जैसे की सूर्यनमस्कार करे या कोई आसान का अभ्यास करे , आप प्राणायाम का अभ्यास करे , आप सूर्य का ध्यान करे , कुछ भी योग में आप योग निद्रा करे। इतने सारे चीज़ आपके अंदर, आपके प्राण ओज को बढ़ाता है और योग का कार्य ये है अबरुद्ध प्राण ओज को एक सही दिशा देना। इसकेलिए सबसे अच्छा चेहरे केलिए सूर्य नमस्कार या ऐसे आसनों को समूह माना गया है जो इसमें आप बार बार साँसों के साथ शरीर का मूवमेंट को, जिसको हम विन्यास बोलते है। विन्यास मतलब विशेष संस्यास करना या विशेष फॉर्म बनाना, या आप अपने बॉडी को विशेष फ्लो में डालते है। तो इससे आपके अंदर प्राण ऊर्ज का संचार होता है। जब प्राण का संचार होगा तो उसका जो परिणाम है , वो परिणाम आपके स्किन से दिखता है जोकि उसकी अंदर जो ग्लो या ओज या चमकीला , इस तरह के चीज़ें आपको दिखने केलिए मिलती है। तो ज़रूरी है की योग का अभ्यास करे। परनयम का नियमित अभ्यास किया जाए। शीतनी प्राणायाम चेहरे का चमक केलिए या कान्ति लाने लिए सबसे अच्छा माना जाता है।