महाशय नल: Learn Hindi with subtitles – Story for Children and Adults “BookBox.com”
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महाशय नल
लेखिका प्रभा भट्टाराय
उठिये, उठिये महाशय नल!
लोग आ रहे हैं।
उन्हें पानी की ज़रूरत है।
“महाशय नल,
क्या कुछ पानी मिल सकेगा मुझे?”
एक वृद्धा ने पूछा।
“हाँ!
मैं पानी तुम्हारे बर्तन में डाल दूँगा।”
“धन्यवाद।
अब मैं सवेरे की अपनी प्रार्थनाएँ
कह सकूँगी।”
लो, वह कोई अपना बर्तन लेकर
आ पहुँचा।
“महाशय नल,
क्या कुछ पानी मिल सकेगा मुझे?”
“कृपया जितनी ज़रूरत हो ले लो!”
“शुक्रिया।
अब मैं नाश्ता बना सकूँगी।”
देखो, देखो!
एक परिवार सैर के लिए निकला है।
“महाशय नल,
क्या कुछ पानी मिल सकेगा मुझे?”
“लाओ, मैं तुम्हारी बाल्टी भर दूँ!”
“शुक्रिया।
अब मैं अपनी मोटर साइकिल
धो सकता हूँ।”
“महाशय नल,
क्या मुझे थोड़ा पानी मिल सकता है?”
एक माँ ने पूछा।
महोदय नल,
मदद करने में ख़ुश होते हैं।
“जी, मैं आपका टब भर दूँगा।”
“शुक्रिया।
अब मैं अपने कपड़े धो सकती हूँ।”
तभी एक कलाकार वहाँ आ पहुँची।
“महाशय नल,
क्या मुझे कुछ पानी मिल सकेगा?”
“तुम अपना मग यहाँ भर सकती हो,”
महाशय नल बोले।
“शुक्रिया।
अब मैं अपनी तूलिकाएँ धो सकती हूँ।“
“महाशय नल,
क्या मुझे थोड़ा-सा पानी मिलेगा?”
एक माली ने पूछा।
“आओ, पौधे सींचने वाली
तुम्हारे ‘ कैन’ में डाल देता हूँ मैं पानी।”
“शुक्रिया।
अब मैं अपने पौधे सींच सकती हूँ।”
“महाशय नल,
क्या हमें थोड़ा-सा पानी मिल सकता है?”
कुछ बच्चों ने पूछा।
“मैं कड़ी मेहनत कर रहा हूँ।
लेकिन लाओ,
तुम्हारी बाल्टियों के लिए
यह रहा पानी।”
“शुक्रिया।
अब हम साफ़-सुथरे हो जायेंगे।”
एक प्यासा कुत्ता गिड़गिड़ाया,
“महाशय नल,
कृपया थोड़ा पानी मिलेगा मुझे?”
“लो, पी सकते हो तुम।
लेकिन वैसे ही बहुत देर हो चुकी है,
कृपया, जल्दी करो।”
“धन्यवाद। बड़ी राहत मिली मुझे।”
आख़िरकार, दिन ढल गया।
अब किसी को पानी की ज़रूरत नहीं।
सोने का वक़्त हो चला महाशय नल।
कल का दिन फिर से आपके लिए
एक व्यस्त दिन होगा!
Story: Prabha Bhattarai
Illustrations: Ujwal Tamang
Translation: Vandana Maheshwari
Narration: BookBox (Sweta Sravan Kumar)
Music: Rajesh Gilbert
Animation: BookBox
This book was created at a Let’s Read BookLab in Nepal
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