हाथी शहर को गया Bilingual – Learn Hindi with English – Story for Children “BookBox.Com”
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हाथी शहर को गया Bilingual – Learn Hindi with English – Story for Children “BookBox.Com”

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हाथी शहर को गया
लेखक – अमित गर्ग
एक बड़े शहर के बीच
एक छोटा-सा चिड़ियाघर था,
और उसमें
एक नन्हीं हथिनी रहती थी।
उसका नाम रोज़ा था।
चिड़ियाघर का रखवाला
नन्हीं रोज़ा से बहुत प्यार करता था
और हर तरह से
उसका ध्यान रखता था।
बहुत से दर्शक रोज़ा को देखने आते
और मन्त्रमुग्ध हो
उसे एक बार में
एक दर्जन केले
खाते देखते!
रोज़ा की देखभाल अच्छी तरह होती थी,
लेकिन उसे दूसरे हाथियों का
न होना अखरता था।
एक दिन
रोज़ा को खिलाने के बाद
रखवाला उसके पिंजरे का
दरवाज़ा बंद करना भूल गया।
शीघ्र ही वह चिड़ियाघर के बाहर थी!
पहले, उसका सामना हुआ
एक आइसक्रीम-वाले से
जो सड़क के किनारे खड़ा था।
उसने रोज़ा को देखा और भाग खड़ा हुआ।
नन्हीं हथिनी ने
जिज्ञासा से अपनी सूँड़ आइसक्रीम के
डब्बे में डाली।
कुछ चीज़ इतनी ठंडी,
मीठी और स्वादिष्ट थी
कि वह सारा का सारा निगल गई।
रोज़ा घूमती रही,
उसकी आँखें किसी को खोज रही थीं।
अंत में, एक दूकान में
उसने टी.वी. के एक पर्दे पर
हाथियों का
एक झुण्ड देखा!
मित्र! उसने सोचा
और टी.वी. की दूकान में घुस गई।
दूकान के अंदर जो भी था
उसे अकेला छोड़ कर, बाहर भागा।
रोज़ा ने बात करनी चाही
टी.वी. के ऊपर दिखते हाथियों से,
लेकिन उन्होंने उत्तर नहीं दिया।
दुविधा और निराशा से भरी
वह बाहर चल दी।
गली मेंे लौटने पर उसने देखा
एक नारियल बेचने वाला
नारियल बेच रहा था।
वाह! मुझे एक गेंद मिल गई!
अब यह खेलने का समय है!”
वह बोली
और ठोकर लगा कर
उसने एक नारियल
ऊपर हवा में उछाल दिया।
वह उड़ता हुआ सड़क के पार
एक लड़के के ठीक बगल में जा गिरा,
जो पार्क में खेल रहा था।
रोज़ा किसी तरह
अपनी नारियल की गेंद लेने
सड़क के पार दौड़ी।
कारें चीख उठीं,
बसों के हॉर्न बज उठे,
ड्राइवर एक-दूसरे पर
चिल्लाने लगे।
रोज़ा ने
रास्ता जाम करवा दिया था।
ट्रैफिक पुलिस
नियंत्रण रखने में लगी थी।
चिड़ियाघर को सूचना दी गई।
अपने आस-पास के
शोर-गुल से बेफ़िक्र,
रोज़ा सीधी पार्क में दौड़ी।
वह उस नन्हें लड़के
के सामने रुकी,
जो उसे देखकर मुस्कुुरा रहा था।
वह खिलखिलाया
और उसने हथिनी को थपथपाया।
उत्साह से भरी रोज़ा अपने नये दोस्त
की तरफ फिर से
चिंघाड़ उठी।
अब तक चिड़ियाघर का रखवाला
पार्क में पहुँच चुका था।
रोज़ा को
पार्क की खुली जगह में देख
वह समझ गया
कि वह पिंजरे में कभी
खुश नहीं रह पायेगी।
चिड़ियाघर ने रोज़ा को
शहर से दूर, एक सुरक्षित
जंगल में भिजवा दिया,
जहाँ और बहुत-से हाथी
आज़ादी से घूमते थे।
रोज़ा बहुत खुशी से बड़ी होने लगी।
रोज़ा को, सलाखों के पीछे,
पिंजरे में बंद देखने के बजाय
दर्शक उसे बहुत-से
पेड़ों के बीच,
दर्जनों केले अब भी
निगलते हुए देख सकते हैं।

Illustrations: Stoopid Animations
Music & Art Direction: Holger Jetter
Translation(Hindi): Aparna Roy
Narration(Hindi): Purnima Srivastava
Narration(English): Maurice E. Lam
Animation: Stoopid Animations

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