Abdul Kalam, असफ़लता से सफ़लता की ओर Learn Hindi with subtitles – Story for Children “BookBox.Com”
Kalam and his team take the space programme to new heights by launching India’s first satellite into orbit.
Get our FREE App for Android: https://bit.ly/2oAUev9 and for iOS: https://apple.co/2Isv5th
Subscribe for new videos every week!: https://www.youtube.com/channel/UCmqBU9X2YhFfnaZOwhACiNw/?sub_confirmation=1
More Hindi AniBooks: https://www.youtube.com/watch?v=nd4_9AsPvIk&list=PL_YQntlygLzanh6AZ0Bvo1wOPkVLG-TFo
More Abdul Kalam AniBooks: https://www.youtube.com/watch?v=GniyXhucMc8&list=PL_YQntlygLzZWZjw7HejsP0uprvYY_hls
असफ़लता से सफ़लता की ओर
आखिरकार
प्रक्षेपण की घड़ी आ ही पहुंची।
इस क्षण के लिए
हम लोगों ने सात बरस
अथक परिश्रम किया था।
हमारे दल के सभी लोग
सांस थामे
भारत के पहले उपग्रह प्रक्षेपण यान,
यानी सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल
एसएलवी-3 के प्रक्षेपण की
प्रतीक्षा कर रहे थे।
उल्टी गिनती शुरू हुई-
टैन, नाइन, ऐट,
सेवेन, सिक्स, फ़ाइव,
फोर, त्री, टू, वन…
लिफ़्ट आफ़!
पहले चरण का प्रदर्शन
बहुत बढ़िया रहा।
हम मंत्रमुग्ध खड़े देख रहे थे,
हमारी आशाएं एसएलवी-3 के रूप में
उड़ान भर रही थीं।
अचानक जैसे सपना टूटा –
दूसरा चरण
नियन्त्रण से बाहर हो गया
और तीन सौ सत्रह सेकेण्ड बाद
उड़ान समाप्त करनी पड़ी।
पूरा ढ़ांचा समुद्र में जा गिरा।
हमारी आशाएं धराशायी हो गयीं।
एक पल जादू था
और दूसरे ही पल गहरी हताशा।
हम में से ज़्यादातर के लिए
ये घटना एक बड़ा सदमा थी।
मैं क्रोध और हताशा से भर उठा।
एक संवाददाता सम्मेलन का
आयोजन किया गया था
जिस में प्रक्षेपण की
असफलता के कारणों पर
चर्चा होनी थी।
मैं एसएलवी-3 की असफलता के लिए
खुद को जिम्मेदार मान रहा था
और मन ही मन
डर से कांप रहा था।
मैं जानता था
कि संवाददाता सम्मेलन में
मेरी और मेरे दल की
खूब आलोचना होगी।
लेकिन हमारे संगठन के अध्यक्ष
प्रॉफ़ेसर सतीश धवन ने
मुझ से माइक ले लिया
और आत्मवि·ाास के साथ
सभी प्रश्नों के उत्तर दिए।
उनके अविचलित रहने
और विचारों की स्पष्टता से
मैं सचमुच बहुत प्रभावित हुआ।
प्रॉफ़ेसर धवन ने कहा,
ये अभियान बहुत जटिल होते हैं।
हमें पता लगाना होगा
कि गलती कहां हुई,
गलती ठीक करनी है
और फिर निश्चित रूप से देखना है
कि ऐसी गलती दोहराई न जाए।”
और फिर उन्होंने कहा,
मुझे पूरा वि·ाास है
कि ठीक एक साल के अन्दर
हम एक उपग्रह को सफलतापूर्वक
पृथ्वी की कक्षा में
स्थापित करने का लक्ष्य
प्राप्त कर पाएंगे!”
उनके इस वाक्य ने
मेरी बहुत हिम्मत बंधायी
और मैं जोश से भर उठा।
पिछले सप्ताहभर
मैं नाममात्र ही सोया था,
मैं सीधा अपने कमरे में गया
और बिस्तर पर जा गिरा।
ठीक एक साल बाद
18 जुलाई 1980 को
एक बार फिर पूरे देश की निगाहें
हम पर थीं।
भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम का भविष्य
बदल देनेवाले प्रक्षेपण की घड़ी
आ पहुंची थी।
तड़के ही एसएलवी-3 ने उड़ान भरी।
उपग्रह कक्षा में
सफलतापूर्वक स्थापित हो चुका था
और तब मैंने अपने जीवन के
सबसे महत्वपूर्ण शब्द बोले,
मिशन डायरैक्टर
कॉलिंग ऑल स्टेशन्स।
सभी चरण
सफलतापूर्वक पूरे कर लिए गए हैं
और उपग्रह रोहिणी
अब अपने ग्रह-पथ में है।”
चारों ओर से
उल्लासभरी आवाजें उठने लगीं!
जब मैं इमारत से बाहर निकला
तो मेरे सहकर्मियों ने मुझे
कंधों पर उठा लिया
और जलूस बना कर
प्रक्षेपन स्थल की ओर ले चले।
वो मेरे जीवन का सबसे गर्वभरा
और सबसे सुखद क्षण था।
मुझे अपने दल पर बहुत गर्व हुआ।
पूरा देश उत्साह से भर उठा।
भारत,
उपग्रह प्रक्षेपित करने की क्षमता से
सम्पन्न देशों के छोटे से समूह में
शामिल हो गया था।
हर अखबार के पहले पृष्ठ पर
उपग्रह के सफल प्रक्षेपण की खबर थी।
एक बार फिर
संवाददाता-सम्मेलेन हुआ।
मैंने प्रॉफ़ेसर धवन से अनुरोध किया
कि संवाददाता-सम्मेलेन
वे ही सम्बोधित करें।
लेकिन इस बार
उन्होंने माइक मेरी ओर करके
मुझे ही प्रशनों के उत्तर देने दिए।
उन्हें पता था
कि इस परियोजना पर
मैंने कितना श्रम किया है
और उन्हें लगा
कि प्रशनों के उत्तर
मुझे ही देने चाहिएं।
उस दिन मैंने सीखा
कि दल का नेता
अपने दल का मार्गदशन कैसे करता है –
वो असफलता का दोष खुद ले कर
सफलता का श्रेय
अपने दल को देता है।
मैंने मन-ही-मन सोचा
कि काश किसी दिन मैं भी
ऐसे ही अपने दल को
प्रोत्साहित कर पाऊं!
Story: APJ Abdul Kalam with Arun Tiwari
Story Adaptation: Ananya Parthibhan
Illustrations: Deepta Nangia
Music: Acoustrics (Students of AR Rahaman)
Translation: Madhu B Joshi
Narration: Babla Kochhar
Animation: BookBox
WEBSITE: http://www.bookbox.com
FACEBOOK: https://www.facebook.com/BookBoxInc/
INSTAGRAM: https://www.instagram.com/bookboxinc/
TWITTER: https://twitter.com/bookboxInc
#BookBox #BookBoxHindi #Learn2Read