Kalam’s team face repeated failures as they try to launch the AGNI missile. How will he motivate his team to make this mission a success?
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मिसाइल मैन
अखबारों में अग्नि मिसाइल की
बार-बार असफलता
और उसके परीक्षण में
हो रही देरी की
काफ़ी चर्चा थी।
अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में
ऐसी देरियां होती ही रहती हैं,
लेकिन देश ये बात समझने को
तैयार नहीं था।
अपनी समस्याएं
हमें खुद ही सुलझानी थीं।
लोग अपने-अपने ढंग से
देरी का मतलब निकाल रहे थे।
अमूल के एक विज्ञापन में तो
हंसी-हंसी में
यहां तक सुझाव दे डाला गया
कि अग्नि को चलाने के लिए
उन्हें अमूल मक्खन का इस्तेमाल
र्इंधन के तौर पर करना चाहिए!
परीक्षण में देर होने के कारण
अखबार हाथ धोकर
हमारे पीछे पड़े थे
और बार-बार की असफलता से
मेरे दल का मनोबल
टूट चुका था।
मुझे वे अनेक अवसर याद आए
जब हमारे दल के नेताओं ने
हामारा मनोबल बढ़ाया था,
मैंने सोचा कि क्यों न
मैं भी ऐसा ही कुछ करूं।
मैंने एक सभा आयोजित करके
अपने दल के दो हज़ार सदस्यों को
सम्बोधित किया:
हमें एक महान् अवसर दिया गया है।
सभी बड़े अवसरों के साथ
बड़ी चुनौतियां भी जुड़ी होती हैं।
हम हिम्मत नहीं हार सकते।
हमारे देश को
हमसे कम से कम
इतना तो मिलना ही चाहिए।”
मैं बात खत्म कर ही रहा था
कि अनायास मेरे मूंह से निकला,
मैं वादा करता हूं
कि अगले परीक्षण में
अग्नि का प्रक्षेपण सफल रहेगा।”
मेरा दल अचानक
ऊर्जा से भर उठा!
नए जोश से भरकर
मेरे दल ने
जबर्दस्त इच्छाशक्ति दिखाते हुए
बड़ी लगन से काम किया।
आखिर, प्रक्षेपण की तारीख
22 मई 1989 तय हुई।
सेना के जनरल
और रक्षामंत्री जैसे गणमान्य व्यक्ति
प्रक्षेपण देखने आए।
प्रक्षेपण से पहली रात
हम पूर्णिमा की चांदनी में दमकते
समुद्र-तट पर सैर के लिए गए।
गरजती लहरें
चट्टानों से टकरा रही थीं।
हम सभी के मन में
ये प्रश्न घुमड़ रहा था
कि क्या कल अग्नि का प्रक्षेपण
सफल रहेगा?
लेकिन इस बारे में कोई भी
कुछ बोलना नहीं चाहता था।
आखिर रक्षामंत्री ने
चुप्पी तोड़ी और मुझसे पूछा,
कलाम, कल हमें
अग्नि की सफलता की खुशी
कैसे मनानी चाहिए?
तुम्हारा क्या इच्छा है?”
प्रश्न सरल था,
लेकिन मैं तुरन्त उसका उत्तर
नहीं दे पाया।
सोचने लगा कि मुझे क्या चाहिए?
मेरे पास क्या नहीं था?
और तभी मुझे एक खयाल आया,
मैंने कहा,
हमें अपने शोध-केन्द्र में
एक लाख पौधे रोपने हैं।”
रक्षामंत्री का चेहरा चमक उठा।
उन्होंने गद्गद हो कर
भविष्यवाणी की,
अग्नि की सफलता के लिए
धरती माता तुम्हें आशीर्वाद देगी।
कल हमें सफलता ज़रूर मिलेगी।”
अगले दिन
सुबह सात बज कर दस मिनट पर
अग्नि का प्रक्षेपण हुआ –
एकदम बाधारहित और त्रुटिहीन।
ये बिलकुल ऐसा ही था
जैसे कोई बुरे सपने के बाद जागे
और पाए कि उज्ज्वल सवेरा
उसका स्वागत कर रहा है।
विभिन्न कार्य-केन्द्रों पर
पांच वर्षों तक लगातार चले काम का
अच्छा परिणाम मिला था।
कुल छह सौ सैकण्ड की
सुन्दर उड़ान ने
हमारी सारी थकान को पोंछ डाला।
बरसों की मेहनत की
ये अद्भुत परिणति सामने आई थी!
ये मेरे जीवन के
महानतम क्षणों में से एक था
और हमेशा रहेगा।
Story: APJ Abdul Kalam with Arun Tiwari
Story Adaptation: Ananya Parthibhan
Illustrations: Deepta Nangia
Music: Acoustrics (Students of AR Rahaman)
Translation: Madhu B Joshi
Narration: Babla Kochhar
Animation: BookBox
WEBSITE: http://www.bookbox.com
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