ड्रग की विषाक्तता और ओवरडोज के लक्षण – डॉ. सुरेखा तिवारी
ड्रैग पोइज़निंग या ड्रग की विषाक्तता , इस सवाल का जवाब हम दो अलग अलग भागों में विभाजित कर सकते है। पहले होम्योपैथिक ड्रग्स और दूसरा एलोपैथिक ड्रैग। जो होम्योपैथिक ड्रैग होती है , ये होम्योपैथिक सिस्टम के अंदर , ओवरडोज़ का कोई मैंने नहीं होता , ओवरडोज़ का कोई नुक्सान नहीं होता और वेरडोज़ पोइज़निंग जैसी कोई चीज़ नहीं होती। एलोपैथिक में हर ड्रैग , जो बुइ आपको दवाई दी गयी है , उसके साथ एक प्रेस्क्रिप्शन दिया जाता है की आपको कितनी दवाई खानी है। जब भी उस मात्रा से अधिक लिया जाएगा, तब उसको ओवरडोज़ कहा जाएगा क्यूंकि तब वो इलाज करने के बजाय , वो और ज़्यादा आपके अंदर बीमारिया पैदा कर सकते है। अब अलोपाटिक ड्रग्स के आदर बहुत सारे अलग अलग क्लासिफिकेशन है। अब उस पूरे वर्गीकरण को समझाना असंभव है। लेकिन फिर भी ये कहा जा सकता है की जिन दवाईयों को जितना कहा जाए , उतना ही खाया जाए , तो वह आपको एक बराबर फायदा देती है। लेकिन इससे ज़्यादा खा ली गयी है तो आपको ज़्यादातर वही सिम्टम आएंग जिनका इलाज करना चाहा था , जैसे की आपने अगर क्रोसिन खायी , ऑप्टिमम डोज़ खाली यो अचानक पसीना छूटने लगेंगे , चक्कर आने लगेंगे , बोहत मुंकिन है की उलटी आने लगेगी क्यूंकि इन सब केमिकल का शरीर में डाइरेक्ट असर होता है। सबसे पहला असर ये होता है की शरीर उनको खुद ही भगाने की कोशिश करता है, जिसके वजह से उलटी आ सकती है , बहुत ज़्यादा नींद आ सकती है , पसीने छूट सकते है , और उससे ज़्यादा बड़ी बात है की बहुत घबराहट होती है।