रजोनिवृत्त आयु की महिला के लिए सर्वोत्तम योगिक आहार और व्यायाम – श्री. सुधाकांत मिश्रा
मीनोपॉज या रजोनिवृति , उन महिलाओं में जिनकी उम्र ५० साल तक की होती है उनक मासिक धाराम का बांध होना। उस समय में शारीरिक और मानसिक रप्पो में कई परिवर्तन होती है। शारीरिक रूप में कई सारे हार्मोन्स बदल जाते है। उसके वजह से आपको शरीर में गर्मी लग्न , जा जोड़ों में दर्द लग्न , रात में पसीना आना , खूब प्यास लग्न , मन विकृत होना। कई बार ऐसे समस्या आते है की आप उसको नहीं समझा सकते है। इसका कारण है की आपके अंदर कई ग्रंधिया है जो बदल जाते है और रजोनिवृति प्रकृति का एक अद्भुत उदहारण है की प्रकृति हमेशा बदल जाता है जैसे की हर एक ृत बदल जाता है वैसे ही उनमे एक परिवार्ता आता है। वह है जब भी संतान उत्पादन से निर्वृत होकर वो वानप्रस्थ के ागी जाने लगते है। तो रजोनिवृति वाले लोगों केलिए आवश्यक है की ऐसा खाना खाये , ऐसा भोजन करे जो अधिक वायुकारक नहीं हो। तो वायुकारक खाना क्या है अरहर का दाल , छाना दाल, ज़्यादा टाला भुना खाना जो आपके पित्त को बढ़ाएगा। ऐसा खाना नहीं खाना चाहिए क्यूंकि उस समय वात और पित्त की प्राकृति बढ़ी हुई होती है। ऐसे समय में खाना ऐसा खाना चाहिए जो अपने पित्त को शांत कर सके , हमारे वाट को शांत कर सके , खान लेना ज़रूरी है। इन सबसे भी ज़रूरी है की भोजन के साथ साथ अपना योग को अपनाना। योग इ सबसे ज़रूरी है की उस तरह के अभ्यास जो अपने पेट और आस पास के अव्यय पे सही तरीके का प्रभाव दाल सके। इसकेलिए आवश्यक है की कुछ ऐसे आसनों का क्रम बनाया जाए जिससे सही तरीके के गति हो सके। इसकेलितए है चक्रवाकसाना का विन्यासा फॉर्म और सूर्यनमस्कृ तरीका। दूसर है वक्रासन , अर्ध्मादास्यासन , आगे झुक करके करने वाले आसान , पश्चिमोत्तनासन , भुजंगासन अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ प्राणायाम का करना इस समाय ज़रूरी है। इसके साथ साथ बढ़ कोणासन। प्राणायाम से शीतली प्राणायाम , उज्जाय प्राणायाम का अभ्यास बोहत ही ज़रूरी है।