होम्योपैथी में सनस्ट्रोक| लू लगने का प्रबंधन कैसे किया जाता है? – डॉ. सुरेखा तिवारी
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होम्योपैथी में सनस्ट्रोक| लू लगने का प्रबंधन कैसे किया जाता है? – डॉ. सुरेखा तिवारी

सनस्ट्रोक या लू लगन , लू तब लगती है जब लोगों को पता है जब तेज़ गर्मी होती है बाहर और आपके शरीर के अंदर और बाहर टेम्पेरेचर बॅलन्स नहीं बना पाए। उसको लू लग्न कहता है। इसके लक्षण कैसे होता है की सर में बहुतसारा दर्द होता है बहुत सारे लोगो में उलटी होती है और लोगों को क्रैम्प्स होती है और पेट में दर्द होता है। वो जो गर्मी है वो नहीं संभल रही है। नैट्रम करब एक दवाई है होमेओपती में इसमें बहुत अच्छा असर है , उसको अगर दिन में चार बार लिया जाए तो फरक पड़ता है। लेकि इसके साथ ज़रूरी है वो बाकी सारे चीज़ें भी होनी चाहिए। उसके साथ साथ खूब अच्छे से नहाइये ताकि वो गर्मी आपके शरीर से निकल सके। दूसरा कोशिश करिये के खूब पानी पीजिये और जिस दिन लू लगी उस दिन सिर्फ फल खाये तो वो बहुत अच्छा है की आपके अंदर के बॅलन्स वो बहुत जल्दी ठीक हो सकता है। ज़्यादातर लू लगने का लक्षण होता है वो दो दिन तक रहता है। दुसरे दिन अपने आप को ठीक करने में बहुत मुकम्मल होती है और वो अपने आप ठीक होती है। बस उसका मदत करिये। ठीक होजाईये।