क्या गॉल ब्लैडर स्टोन्स कैंसर बन सकते हैं? – डॉ. सुरेखा तिवारी
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क्या गॉल ब्लैडर स्टोन्स कैंसर बन सकते हैं? – डॉ. सुरेखा तिवारी

सबसे पहले हमें ये समझना है की गॉल ब्लैडर जो है, जिसे पित्त की थैली भी कहते है , ये लिवर से निकलने वाली बैल की एक स्टोरेज यूनिट है। हम जितना भी बैल एक बार में बनाते है , वो सारा हम इस्तेमाल नहीं करते अगर हम सेंसिबली खाना खाते है। ये गॉल ब्लैडर एक्स्ट्रा बैल को स्टोर होती है और जब भी हम एक्स्ट्रा खाना खाते है और जब भी हम कुछ भारी खाना खाते है , जब हमें ज़्यादा बैल की ज़रुरत पड़ती है , तब ये पित्त की थैली श्रिंक करके उस जूस को बाहर फेंकती है और उसके चलते ही हमारा पाचन या डिगेशन रुकता नहीं है। अगर लिवर खराब बैल बनाये या गॉल ब्लैडर अपना काम पूरा नहीं कर पाए , उन दोनों कंडीशन्स के अंदर उसी बैल से प्रेसिपिटेट होकर गॉल ब्लैडर स्टोन्स यानी की पित्त की थैली की पथरी बनती है। ij स्टोन्स की जब एनालिसिस की गयी तो पाया गया की ये स्टोन्स जो है ये कोलेस्ट्रॉल डिपॉजिट्स होते है। नाम इनका पत्थर है या स्टोन है , लेकिन ये पत्थर जैसे हार्ड नहीं। क्यूंकि ये बैल से ही प्रेसिपिटेट हुई है , अगर इलाज ठीक किया जाए , तो धीरे धीरे ये जो गॉल ब्लैडर स्टोन्स है , ये आपस में चिपक जाते है और पित्त की थैली में ही नीचे रह जाते है। ये किसी भी तैर पथरी निकाल नहीं किया जा सकता है इसको निकाला नहीं जा सकता जितनी भी ऑपरेशंस होते है , उसमे गॉल ब्लैड पूरी की पूरी निकाल दी जाती है। इससे कैंसर होना या कोई भी बिमारी से कैंसर होना। कैंसर एक अलग किसम की बिमारी है जोकि कॉन्टेन्ट इर्रिटेशन से पैदा होती है। तो गॉल ब्लैडर स्टोन्स से कैंसर होना या नहीं होना , इन दोनों का आपस में सबसे पहले हमें ये समझना है की गॉल ब्लैडर जो है, जिसे पित्त की थैली भी कहते है , ये लिवर से निकलने वाली बैल की एक स्टोरेज यूनिट है। हम जितना भी बैल एक बार में बनाते है , वो सारा हम इस्तेमाल नहीं करते अगर हम सेंसिबली खाना खाते है। ये गॉल ब्लैडर एक्स्ट्रा बैल को स्टोर होती है और जब भी हम एक्स्ट्रा खाना खाते है और जब भी हम कुछ भारी खाना खाते है , जब हमें ज़्यादा बैल की ज़रुरत पड़ती है , तब ये पित्त की थैली श्रिंक करके उस जूस को बाहर फेंकती है और उसके चलते ही हमारा पाचन या डिगेशन रुकता नहीं है। अगर लिवर खराब बैल बनाये या गॉल ब्लैडर अपना काम पूरा नहीं कर पाए , उन दोनों कंडीशन्स के अंदर उसी बैल से प्रेसिपिटेट होकर गॉल ब्लैडर स्टोन्स यानी की पित्त की थैली की पथरी बनती है। इस स्टोन्स की जब एनालिसिस की गयी तो पाया गया की ये स्टोन्स जो है ये कोलेस्ट्रॉल डिपॉजिट्स होते है। नाम इनका पत्थर है या स्टोन है , लेकिन ये पत्थर जैसे हार्ड नहीं। क्यूंकि ये बैल से ही प्रेसिपिटेट हुई है , अगर इलाज ठीक किया जाए , तो धीरे धीरे ये जो गॉल ब्लैडर स्टोन्स है , ये आपस में चिपक जाते है और पित्त की थैली में ही नीचे रह जाते है i ये किसी भी तैर पथरी निकाल नहीं किया जा सकता है इसको निकाला नहीं जा सकता जिनि भी ऑपरेशंस होते है , उसमे गॉल ब्लैड पूरी की पूरी निकाल दी जाती है। इस से कैंसर होना या कोई भी बिमारी से कैंसर होना कैंसर एक अलग किसम की बिमारी है जोकि कॉन्टेन्ट इर्रिटेशन से पैदा होती है। तो गॉल ब्लैडर स्टोन्स से कैंसर होना या नहीं होना, इन दोनों का आपस में को तालोक नहीं है। जब तक आप नहीं समझे की आप अपना लिवर को इतना खराब किया ले रहे है , आप दारू , पीना रूक नहीं रहे, आप अपने आप को नहीं संभाल रहे। तो वो कैंसर गॉल ब्लैडर के बिना भी हो सकता है। लेकिन गॉल ब्लैडर स्टोन्स से कैंसर होगा, ये गलत है।