क्या स्क्विंट जीवन में दृष्टि को बाद में प्रभावित कर सकता है? – डॉ. सुनीता राणा अग्रवाल
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क्या स्क्विंट जीवन में दृष्टि को बाद में प्रभावित कर सकता है? – डॉ. सुनीता राणा अग्रवाल

स्क्विंट एक ऐसी चीज़ है अगर एक आंख सीढ़ी देख रही है और एक आँख थोड़ी टेढ़ी देख रही है। इसमें विस्सों ज़रूर आफसेट होता है। जब भी स्क्विंट ५ साल से नीचे असर पढता है , ये स्क्विंट कन्वेर्जेंट स्क्विंट होता है. इंसान एक ही जानवर ही जहाँ पर तवो आँख है पर एक ही विशन है। ये ५ साल की उम्र तक हमें कंट्रोल में ले आता है . पांच साल के बाद अदालत लाइफ में जब एक नज़र कमज़ोर हो जाती है तब ये आपको आँख बाहर ले ात ी है। अगर किसीस को दिअबैतीस होता है या ट्रामा या वस्कुलर इंजुरी होता हैतो एक नस हमारी काट जाती है या मर जाती है। तब हमारी आँख भी बाहर चली आती है। इसको हम परलिटी स्क्विंट कहते है। इसको भी और उसको भी इलाज करने का एक उपाय है जीन थेरपी या सर्जरी. सर्जरी का जो उपाय है जो आँख का मसील स्ट्रॉग होता है उसको कमज़ोर कर देता है। जीन थेरपी का ज़रिये नज़र भी वापस आएगी और स्क्विंट भी ठीक हो जायेगी। ये २ तरकीबे है जिसे हम स्क्विंट को ठीक ककर सकते है और स्क्विंट ज़रूर असर करेगा हमारे विशन को।